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CBI ने एनएसई को-लोकेशन घोटाला मामले में जांच के सिलसिले में एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण और पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को छह मार्च को और आनंद सुब्रमण्यम को 25 फरवरी को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से दोनों न्यायिक हिरासत में हैं।सीबीआई ने विशेष अदालत में दायर अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि रामकृष्ण ने अन्य आरोपों के अलावा महत्वपूर्ण फैसलों में अपने आधिकारिक पद का कथित रूप से दुरुपयोग किया।
सेबी ने 11 फरवरी को रामकृष्ण और अन्य पर सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त करने और समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के रूप में उनके पुन: पदनाम में कथित शासन चूक का आरोप लगाया था। रामकृष्ण ने सेबी से कहा था कि एक निराकार रहस्यमय “योगी” निर्णय लेने में ईमेल पर उनका मार्गदर्शन कर रहा था। सीबीआई ने सेबी की रिपोर्ट सामने आने के बाद से को-लोकेशन घोटाले में दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। सीबीआई ने इस मामले में अदालत को बताया कि ‘निराकार योगी’ कोई और नहीं बल्कि सुब्रमण्यम हैं जो उनके फैसलों के कथित लाभार्थी थे।
क्या है को-लोकेशन स्कैम?
शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
ऐसा दिया घोटाले को अंजाम
सीबीआई जांच में सामने आया है कि एक अप्रैल 2013 को चित्रा रामकृष्ण के एमडी और सीईओ बनने के बाद एनएसई में को-लोकेशन सुविधा की शुरुआत की गई थी। इसके तहत शेयर दलाल अपने सर्वर स्टॉक एक्सचेंज परिसर में स्थापित कर सकते थे जिससे उन्हें बाजार तक तेज पहुंच मिलती थी। इनमें से कुछ दलालों ने एक्सचेंज के अंदरुनी लोगों की मदद से एल्गोरिदम का दुरुपयोग किया और बहुत अधिक मुनाफा कमाया।
ई-वेस्ट में नष्ट करवा दिए कंप्यूटर, जांच कैसे होती?
2018 में अर्नेस्ट एंड यंग कंपनी ने इस मामले में फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट दी थी। लेकिन वह योगी या घपले पर निर्णायक जानकारी नहीं दे सकी क्योंकि आनंद सहित एनएसई के प्रमुख अधिकारियों के कंप्यूटर ई-वेस्ट के नाम पर डिस्पोज करवा दिए गए थे।
अज्ञात योगी की रोचक कहानी… शरीर न आकार, जब चाहें आ जाते हैं सामने
देश के कुल बजट से करीब आठ गुना अधिक धनराशि वाले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में करोड़ों लोगों की किस्मत संवरती-बिगड़ती है, लेकिन इसकी सीईओ व एमडी रही चित्रा रामकृष्णा एक गुमनाम योगी से एक्सचेंज की संवेदनशील जानकारियां साझा करती थी। 11 फरवरी को आए सेबी के आदेश में चित्रा के बयानों में यह खुलासे विस्तार से हुए।
सेबी को उन्होंने बताया था कि योगी हिमालय पर रहता है, उसका न शरीर है, न आकार और न ही पता। वह जब चाहे चित्रा के सामने उपस्थित होने की क्षमता रखता है। योगी की ही सलाह पर चित्रा ने सीओओ पद पर आनंद सुब्रमण्यन को तैनात किया, आनंद पहले 15 लाख सालाना वेतन पाता था, चित्रा ने वेतन 5 करोड़ रुपये तक करवा दी थी।
योगी को देती थी संवेदनशील जानकारियां
चित्रा ने योगी को एनएसई, कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन व परिणाम, पांच साल के लक्ष्यों, योजनाओं, डिविडेंड निर्धारण आदि संवेदनशील जानकारियां देती थीं। सेबी ने चित्रा से पूछा था कि किसी अनजान व्यक्ति से संवेदनशील जानकारियां साझा करते हुए उन्हें कोई झिझक महसूस नहीं हुआ? चित्रा ने इस आचरण को ‘गैर-हानिकारक’ बताया था।
सेबी ने एनएसई के पूर्व प्रमुख को 2 करोड़ की रिकवरी का नोटिस जारी किया
सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व प्रमुख रवि नारायण से 2.06 करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया है। यह नोटिस गवर्नेंस में ढिलाई के मामले में जारी किया गया है। सेबी ने कहा कि अगर 2.06 करोड़ का भुगतान नहीं होता है तो वह उनके बैंक खाते और संपत्तियों को जब्त कर सकती है। सेबी ने 11 फरवरी को 2 करोड़ के जुर्माने का नोटिस जारी किया था, जिसे उन्होंने भुगतान नहीं किया।