उत्तर प्रदेश :
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा कि 1857 के आंदोलन में अवध क्षेत्र के हजारों लोग शहीद हुए थे, लेकिन अफसोस इस बात का है कि हमारे पास उनका संकलन नहीं है। स्कूूल और कॉलेज डिग्री बांटने के साथ ही अमर सेनानियों के गौरवशाली इतिहास को भी खोजें। छात्र-छात्राएं जो प्रोजेक्ट तैयार करें, उसमें अमर सेनानियों को शामिल करें। ग्राम स्तर, न्याय पंचायत स्तर, ब्लॉक स्तर और जिला स्तर पर पता करें कि देश को आजादी दिलाने में किन-किन सेनानियों ने अपनी कुर्बानियां दीं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को उसकी जानकारी हो सके। वह बुधवार को अमर सेनानी राना बेनी माधव बक्श सिंह की 218वीं जयंती पर एफजी कॉलेज में आयोजित भाव समर्पण समारोह में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी की असली ललक संगठित रूप से 1857 में देखने को मिली थी। जब एक साथ देश में अलग-अलग जगहों पर आंदोलन शुरू किया गया था। बुंदेलखंड में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने बागडोर संभाली थी तो कानपुर में तात्या टोपे ने। वहीं अवध क्षेत्र में जिस नायक ने अंग्रेजों से मोर्चा लिया था, उस अमर नायक का नाम था राना बेनी माधव बख्श सिंह। शंकरगंज स्टेट के राजा अपने हजारों वीर सैनिकों के साथ मोर्चा लेने के लिए मैदान में निकल पड़े थे। उन्होंने कहा कि हम आज जब राना बेनी माधव जी को याद कर रहे हैं तो फिर वीर सेनानी वीरा पासी को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने अवध क्षेत्र में आंदोलन को गति प्रदान की थी। उनकी ओर से जलाई गई अलख के बाद हम लोग 90 वर्षों तक अंग्रेजों से लड़ते रहे और हजारों नायकों की वजह से ही हमें आजादी मिली थी। आज अगर हम लोग सुरक्षित हैं तो उसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे सैनिकों का है। आज हम एक ऐसे ही वीर सेनानी सूबेदार संजय कुमार की वजह से सुरक्षित हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।
कुछ सालों में दुनिया का ताकतवर देश होगा भारत
सीएम ने कहा कि आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया का सबसे ताकतवर देश होगा। आज हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में बेहतर काम किया है। जब कोरोना काल आया तो हर कोई इसका शिकार हुआ। कारोबार प्रभावित हुआ, लेकिन हम लोगों ने हार नहीं मानी। मुसीबत के समय में भी सभी ने धैर्य से काम लिया। जिसका नतीजा रहा कि हम उस महामारी से निपट पाएं। उन्होंने कहा कि सारी जिम्मेदारी सरकार की ही नहीं, बल्कि हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम समाज और अपने लिए कुछ करें। आगे बढ़ें। तरक्की करें और देश व प्रदेश का नाम रोशन करें।
संत अध्ययन कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं
सीएम ने कहा कि एक माह पहले महाराष्ट्र से कुछ संत उनके पास आए थे। संतों ने उनसे कहा कि आप हमारे आश्रम आएं। मैंने कहा कि हमें वहां के बारे में कुछ जानकारी नहीं है। इस पर संतों ने कहा कि हमारे आश्रम से आपके पीठ के अच्छे संबंध रहे हैं। हम जल्द आपको इसके कुछ प्रमाण देंगे। कुछ दिन बाद संत फिर आए और प्राचीन पांडुलिपियां सौंपी। इन प्राचीन पांडुलिपियों को हमने पुरातत्व विभाग को दिया और अध्ययन कराया। अध्ययन के बाद इन पांडुलिपियों में 16वीं सदी से 19वीं सदी तक गोरख पीठ के संतों की जानकारी थी। यह देख मैं आश्चर्यचकित था। जब एक संत ऐसा काम कर सकता है तो आप क्यों नहीं।
दोबारा मुझे आने का मिला सौभाग्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे आजादी के इस वीर नायक को याद करने के लिए दोबारा आने का सौभाग्य मिला है। दो साल पहले भी कार्यक्रम में शामिल हुआ था। राना बेनी माधव बख्श सिंह स्मारक समिति ने जिस तरह से अपने पूर्वजों को संजोने का काम किया है, वह वास्तव में बहुत ही तारीफ के योग्य है। हमें अमर सेनानियों के इतिहास के बारे में जानकारी करनी चाहिए।
रानी बेनीमाधव बक्श सिंह की स्मृति में बनेगा सभागार