उत्तराखंड :————————————————————–
AAP सीएम उम्मीदवार कर्नल कोठियाल लगातार वर्चुअली नवपरिवर्तन संवाद के जरिए समाज के अलग अलग वर्गों से जुड़ कर उत्तराखंड नवनिर्माण पर उनसे बात कर रहे हैं। आज इसी कड़ी में उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों से वर्चवली जुडते हुए नव परिवर्तन संवाद किया । उन्होंने सबसे पहले स्व0 गिर्दा के गाने को अपने शब्दों में गाकर उसे राज्य आंदोलनकारियों को समर्पित किया।
उत्तराखंड मेरी मातृभूमि
मातृभूमि, मेरी पितृभूमि,
ओ भूमि तेरी जै- जै कारा म्यार हिमाला
उन्होंने आगे कहा जब भी गिर्दा की इन पंक्तियों को सुनता हूँ मन में जोश भर जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी मातृभूमि के लिए जो सपने शहीदों ने देखे थे, उसे पूरे करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है और इसी कारण में राजनीति में आया हूं। उन्होंने सबसे पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को नमन किया और कहा कि उनकी शहादतों की बदौलत अलग उत्तराखंड राज्य का सपना पूरा हो पाया। उन्होंने कहा कि हमारे शहीदों का बलिदान और हमारे राज्य आंदोलनकारियों का संघर्ष एक-एक उत्तराखंडी पर ऐसा कर्ज है जिसे हम हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों से बात करते हुए कहा कि अलग उत्तराखंड राज्य की लड़ाई जीतने के लिए आप सभी ने जिस तरह संघर्ष किया, अपना सब कुछ दांव पर लगाया, उसी का परिणाम रहा कि जिद्दी सत्ता को घुटनों पर आना पड़ा और आखिरकार 9 नवंबर 2000 को अलग उत्तराखंड राज्य बना। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के लिए आपका संघर्ष और त्याग हम सभी उत्तराखंडवासियों के लिए प्रेरणा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य को बने आज 21 साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे समय में, जब कांग्रेस और भाजपा जैसे दल अवसरवाद, जातिवाद, नेताओं की अदला बदली और मौकापरस्ती की राजनीति करने में मस्त हैं, तब राज्य आंदोलनकारियों से जुड़े मुद्दों पर बात करने का यह निर्णय मैने इसलिए लिया है ताकि हम उन मुद्दों की पड़ताल कर सकें, जो इस राज्य आंदोलन की अवधारणा से जुड़े हैं। मैं आपसे उत्तराखंड के उन सुलगते सवालों पर बातचीत करना चाहता हूँ, जो हम सबके मन में है। उन्होनें कहा कि अलग राज्य की स्थापना का मकसद यही था कि उत्तराखंड के हर क्षेत्र का विकास हो सके, यहां के हर युवा को रोजगार मिल सके, यहां के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सके, हर बीमार को अच्छा इलाज मिल सके और जनता के पक्ष की राजनीति हो सके। लेकिन आप बताएं, कि आज तक यह मकसद कभी पूरा हो पाया। पूरा तो दूर इन 21 सालों में कभी सफल प्रयास भी नहीं किए गए। जिस उत्तराखंड के बनने पर यहां के लोगों ने खुशहाली की उम्मीद की थी आज वो पूरा उत्तराखंड निराशा में डूबा हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि आप जैसे तमाम आंदोलनकारी साथी जो अलग उत्तराखंड राज्य की लड़ाई में शामिल थे, जिन्होंने पुलिस की लाठी-डंडे खाए, जिन्होंने जेल की सजा पाई, जिन्होंने गोलियां खाई, वे आज सोच रहे हैं क्या उन्होंने इस उत्तराखंड के लिए संघर्ष किया था। आंदोलन की लड़ाई के दौरान यही सपना देखा था कि अलग राज्य बनेगा तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, युवाओं का पलायन रुकेगा, उत्तराखंड के घर-घर खुशहाली आएगी। लेकिन आज ये सारे सपने टूट कर चूर-चूर हो गए हैं। जिस राज्य निर्माण के लिए महिलाओं ने सबसे बड़ा योगदान दिया, उस राज्य में आज गर्भवती महिला की इलाज न मिलने से रास्ते में ही मौत हो जाती है, अस्पताल दूर होने के कारण गर्भवती महिलाएं सड़क पर प्रसव के लिए मजबूर हैं। आज भी अस्पताल बदहाल हैं, स्कूल बदहाल हैं, सड़कें बदहाल हैं, रोजगार के रास्ते बंद हैं, नेताओं और अफसरों के नाते रिश्तेदारों के लिए चोर-दरवाजों से नौकरियां मिल रही हैं, भ्रष्टाचार के मामले में आज उत्तराखंड नए-नए रिकार्ड बना रहा है, महंगाई में देश के सबसे टॉप राज्यों में उत्तराखंड का नाम है, बेरोजगारी में उत्तराखंड पूरे देश में पहले नंबर पर है।
उन्होंने कहा कि क्या इसी दिन के लिए आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलन लड़ा था ।21 सालों बाद भी राज्य आंदोलनकारियों को न्याय नहीं मिल रहा है।आज भी 21 साल बाद खटीमा, मसूरी, मुजफ्फरनगर गोलीकांड के दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। हमें राज्य बदहाली के लिए उन लोगों की पहचान करनी होगी। उत्तराखंड के सपनों को चूर-चूर करने वाली भाजपा और कांग्रेस से जवाब मांगने का समय आ चुका है। बड़े दुख की बात है कि आज भी कई आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण तक नहीं हो पाया । कांग्रेस और भाजपा ने चिन्हीकरण के नाम पर आप लोगों के साथ जो खिलवाड़ और छल किया वो आज तक जारी है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण का मसला भाजपा और कांग्रेस की नाकामी के चलते जस का तस टका पड़ा है। लेकिन यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि जिन नेताओं ने उत्तराखंड राज्य का विरोध किया, वे राज्य बनने के बाद विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री बन गए। उनके नाते रिश्तेदार चोर दरवाजों से पक्की नौकरियां पा गए। आज तक गैरसैंण राजधानी गठित नहीं हो पाई।
उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन और शहीदों के सपनों की अवधारणा से जुड़े सारे सवाल आज जवाब के इंतजार में हैं। क्या ये सब इस राज्य के साथ अन्याय नहीं है ? बिल्कुल अन्याय है। ऐसा अन्याय, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।लेकिन आप पार्टी शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाएगी। इसी लिए हमने अपने संकल्प को मिशन उत्तराखंड नव निर्माण का नाम दिया है। उन्होंने बताया कि 9 नवंबर 2021 को राज्य स्थापना दिवस की 21 वीं वर्षगांठ के दिन वों शहीद स्थल मसूरी गए थे जहां हमलने पांच संकल्प लिए थे।
पहला संकल्प – गैरसैंण को शहीदों और आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाया जाएगा।
दूसरा संकल्प – मुजफ्फरनगर (रामपुर तिराहा), खटीमा, सूरी, श्रीयंत्र टापू गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।
तीसरा संकल्प – सरकारी नौकरियों में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण दिया जाएगा।
चौथा संकल्प – उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हीकरण को युद्धस्तर पर पूरा किया जाएगा
पांचवां सकल्प – उत्तराखंड में जनभानवाओं के अनुरूप मजबूत भू-कानून लागू किया जाएगा।
उन्होंने परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर कहा कि 21 सालों में भी यह विवाद दोनों दलों की सरकारें नहीं सुलझा पाई। क्योंकि यह दोनों दल उत्तराखंड की अनदेखी करते आए हैं। 80 लोक सभा सीट वाले उत्तर प्रदेश का हमेशा पक्ष लेते हुए 5 लोक सभा सीट वाले उत्तराखंड की अनेदखी हमेशा की गई। उन्होंने सीएम धामी पर निशाना साधते हुए कहा कि परिसंपत्ति मामले पर वो झूठ बोल रहे हैं और अगर वाकई में ऐसा हुआ तो इसे जनता के सामने रखा जाए। प्रदेश के सिंचाई विभाग की 13 हजार हैक्येयर भूमि 21 साल बाद भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है।टिहरी बांध की करोड़ों रुपये की संपत्ति आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है।परिवहन विभाग की 700 करोड़ रुपये की संपत्ति आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है।भीम गौड़ा (हरिद्वार) , रामगंगा (कालागढ़), और लोहिया हेड (बनबसा) के बैराज आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में हैं।ऐसी और कई सम्पत्तियाँ है जो आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में हैं।
उन्होंने कहा,अगर आज उत्तराखंड को हमारी परिसम्पत्तियों का मालिक बना दिया जाया तो हमारे राजस्व में लाखो करोड़ों की वृद्धि होगी। इस राशि से उत्तराखंड में अच्छे स्कूल, गांव में अच्छे अस्पताल, युवाओं को रोजगार और मुफ्त बिजली पानी की सुविधा दी जा सकती है। अकेले टिहरी डैम की रॉयल्टी से पूरे उत्तराखंड को मुफ्त बिजली मिल सकती है। लेकिन हमारे नेता आजतक चुप रहे। सिर्फ राजनैतिक फायदे के लिए नेताओं ने उत्तराखंड के साथ धोखा किया है।
उन्होंने लोकगयाक नरेन्द्र सिंह नेगी का भी जिक्र किया । और उनके द्वारा आंदोलन के समय गाए गीत कालजयी के बारे मे जानकारी साझा की । उन्होंने कहा कि आज एक बार फिर उत्तराखंड के लिए कसम खाने का वक्त आ गया है। आना वाला चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है, उत्तराखंड को बचाने का चुनाव है, ये चुनाव उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मिटाने का चुनाव है, शहीदों के सपनों के उत्तराखंड को बनाने का चुनाव है। उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों से निवदेन करते हुए कहा कि आप सभी मिशन उत्तराखंड नवनिर्माण के इस संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान दें। आपने भाजपा कांग्रेस को दस दस साल दिए, एक मौका आम आदमी पार्टी को देके देखिये। इस बार उत्तराखंड के नवनिर्माण के लिए, 14 फरवरी को झाड़ू का बट्टन दबाके आम आदमी पार्टी को विजयी बनाएं।