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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को प्रत्यर्पित गैंगस्टर अबू सलेम द्वारा 2002 में पुर्तगाल के ऑथोरोटी को दिए आश्वासन का सम्मान करने को लेकर दाखिल याचिका पर व्याख्यान देने पर फटकार लगाई। पुर्तगाल की ऑथोरोटी को दिए आश्वासन ले तहत सलेम को 25 साल से अधिक की जेल या मौत की सजा नहीं दी जा सकती। दरअसल, मुंबई बम ब्लास्ट के एक मामले मे टाडा अदालत ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे मे गृह सचिव भल्ला द्वारा किए गए इस दावे पर आपत्ति जताई कि पीठ को टाडा अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ सलेम की अपील का निपटारा मेरिट के आधार पर करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह उन्हें नहीं बताना चाहिए कि हमें क्या करना चाहिए। अदालत को भल्ला का यह बयान भी पसंद नहीं आया कि वर्ष 2030 में कार्यपालिका द्वारा पुर्तगाल अथॉरिटी को दिए आश्वासन का पालन किया जाएगा।
जस्टिस कौल ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से कहा कि मुझे हलफनामे का कुछ हिस्सा समझ नहीं आ रहा है। हमें क्या करना है, हम करेंगे। हलफनामा दाखिल करने के दो मौकों के बाद उन्हें हमें यह नहीं बताना चाहिए। मैं इसे विनम्रता से नहीं लेता। नटराज ने कहा कि सलेम के अधिकार, दोषसिद्धि आदि का फैसला न्यायपालिका को करना है और जहां तक आश्वासन का सवाल है यह दो देशों के बीच है।
इस पर पीठ ने नटराज से कहा कि हमने आपसे पूछा था कि क्या आप आश्वासन पर कायम हैं। आप कह रहे हैं कि अभी विचार करने का समय नहीं आया है। आप इसे समय से पहले कैसे कह सकते हैं? पीठ ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता ने मामले में अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो आश्वासन और सजा की अवधि के सवाल पर अदालत द्वारा विचार किया जाएगा। अगली सुनवाई पांच मई को होगी।
भल्ला ने हलफनामे में कहा था कि भारत सरकार पुर्तगाल को दिए आश्वासन से बंधा है लेकिन सरकार के लिए अपने आश्वासन का सम्मान करने का सवाल तभी उठेगा जब 25 साल की अवधि समाप्त हो जाएगी। यह तारीख 10 नवंबर, 2030 है। उक्त तिथि से पहले दोषी-अपीलकर्ता(सलेम) उक्त आश्वासन के आधार पर कोई राहत की मांग नहीं कर सकता है।