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..भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास की ओर से हाउसिंग इनक्यूबेटर ‘आशा’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसका मकसद कम लागत के सस्ते घरों के निर्माण के लिए नई तरीकों की खोज करना और इस क्षेत्र में स्टार्टअप की मदद करना है।
एक्सेलरेटर अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलरेटर्स आवास एवं शहरी मंत्रालय की ओर से शुरू की गई एक पहल है। इस पहल के तहत उन प्रौद्योगिकियों को सहायता प्रदान की जाती हैं, जो बाजार में नहीं उतरने वाली और उतरने के लिए तैयार हैं। अधिकारियों के अनुसार इनक्यूबेटर की ओर से कई स्टार्टअप को मदद दी गई है। इनमें टीवास्टा (Tvasta) भी शामिल हैं, जिसने देश के पहले 3D-प्रिंटेड घर और COVID-19 फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स द्वारा उपयोग की जाने वाली पीपीई को सुरक्षित रूप से हटाने के लिए पहली 3D-प्रिंटेड डॉफिंग यूनिट का निर्माण किया है।
आशा इनक्यूबेटर का मकसद प्रौद्योगिकियों की पहचान, नवीन विचारों को तकनीकी सहायता, उन्हें व्यावसायिक समर्थन और बुनियादी ढांचे के समर्थन पर सलाह देना है। इस पहल में आशा-भारत केंद्र ऐसी प्रौद्योगिकियों के प्रभावी डिजाइन के लिए दिशा-निर्देश देने और नियमावली बनाने में सहायता प्रदान करेंगे। इसके लिए पांच संस्थानों आईआईटी मद्रास, खड़गपुर, बॉम्बे और रुड़की और इनके अलावा सीएसआईआर-एनईआईएसटी, जोरहाट की व्यवस्था की गई है।
आवास और शहरी मंत्रालय के मामलों के भवन निर्माण सामग्री और प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक केआर अग्रवाल ने बताया कि मंत्रालय की ओर से आशा पहल PMAY-U के प्रौद्योगिकी उप-मिशन के तहत चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत आवास क्षेत्र के प्रौद्योगिकी उद्यमों को सहायता प्रदान की जा रही है।