देहरादून।
सच में कुछ तो ऐसा है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में जिस से वह भीड़ में भी सबसे अलग नजर आते हैं। ठंडे शब्दों के बीच गर्म मिजाज, शालीन और अनुशासित सा दिखने जैसा व्यक्तित्व..! चेहरे पर मासूमियत लेकिन फैसले लेने की अद्भुत क्षमता। हारी बाजी को जीतने का सगल…और विरोधियों को उन्ही का भाषा में समझाने के तौर तरीके। यह सब वह भी इतनी सी उम्र में…लगता है राजनीति में कोई अलग से अमरत्व की जड़ी का रस्वादन किये हुए हैं, तभी तो बोले जब भाग्य में माथे की लकीरें हों, तो कोई माई का लाल उसे छीन नहीं सकता।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले पुष्कर सिंह धामी भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी, व दो बार विधायक व मुख्यमंत्री तक उन्होंने वह हर राजनीति अपने आप में आत्मसार कर ली है जिसे समझने के लिए दिग्गजों को पूरी उम्र खपानी पड़ती है।
भाजपा की कार्यसमिति में आगामी निकाय, पंचायत और लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा करते हुए बड़ी जीत का संकल्प लिया गया। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज अपने उदबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि हौसलों के तरकस में कोशिशों के तीर जिंदा रखो, हार भी गए अगर सब कुछ जो जीतने की उम्मीद जिंदा रखो।
पुष्कर सिंह धामी आज अपनी रौ में दिखाई दिए। ऐसे लगा मानो अपने विगत चुनाव व वर्तमान में चम्पावत उप चुनाव के अनुभव उन्होंने बेहद बारीकी से लिये और उनके अनुभव को देखते हुए उन्होंने अपने शब्दों की अभिव्यक्ति को कुछ इस तरीके से प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारे मध्य हमारे बंशीधर जी व महाराज जी गार्जन की तरह हैं, नरेश जी , प्रेम दा, बिशन दा सभी मेरे से सीनियर हैं और सभी तो हैं ही..! लेकिन जब भाग्य में माथे की लकीरें हों, तो कोई माई का लाल उसे छीन नहीं सकता।