देहरादून ।
सहस्त्रधारा रोड स्थित वॉव कैफे में वॉव पॉलिसी डायलॉग के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया। इस बार डायलॉग का विषय था ‘उत्तराखंड में रिस्पांसिबल टूरिज्म’। पॉलिसी डायलॉग में शामिल वक्ताओं ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से रिस्पांसिबल टूरिज्म की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही कैरिंग कैपेसिटी, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, संस्कृति, पर्यावरण, कचरा प्रबंधन और पलायन जैसे मसलों पर भी बात हुई।
वैली ऑफ वर्ड फेस्टिवल के डायरेक्टर और आईएएस एकेडमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा का कहना था कि जब हम टूरिज्म की बात करते हैं तो उसके साथ ही हमें अपनी संस्कृति की भी बात करनी होगी। टूरिज्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार का एक बड़ा माध्यम है । हम इसके जरिये अपनी परंपराओं, अपने खानपान और अपने उत्पादों को दूसरे समुदायों तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए टूरिज्म के जुड़े सभी हितधारकों को जिम्मेदारी उठाकर रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म पर काम करना होगा। भूटान और अन्य देशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म के अलग-अलग मॉडल की वकालत की।
इंडो गंगा हॉलिडेज की मैनेजिंग डायरेक्टर और एवेंचर टूरिज्म की प्रैक्टिसनर किरन भट्ट टोडरिया ने ऋषिकेश में पिछले 30-35 वर्षों में लगातार बढ़ीं राफ्टिंग और पर्यटन गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उनका कहना था कि पर्यटन के माध्यम से हमारे राज्य को आर्थिक लाभ बेशक हुआ हो, लेकिन इसके लिए हमें अपने पर्यावरण और अपनी संस्कृति को दांव पर लगाना पड़ा है । उन्होंने इस क्षेत्र के सभी ऑपरेटर्स को पर्यावरण और संस्कृति के प्रति संवेदनशील बनाने की बात कही। उन्होंने राज्य की अन्य नदियों में भी राफ्टिंग गतिविधियां शुरू करने की बात कही।