खुलासा : तीन बीघा जमीन के लिए नाती ने नाना की हत्या के बाद जलाया था शव
महाराजपुर से लापता बुजुर्ग की उन्हीं के नाती ने तीन बीघे जमीन के लिए अपहरण करने के बाद हत्या कर दी थी। शव को बिधनू के जंगल में जला कर ठिकाने लगा दिया । पुलिस ने हत्या में शामिल नाती समेत तीन के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा तरमीम किया है।
महाराजपुर बौसर गांव निवासी लाल जी 70 की इकलौती बेटी शशि की शादी बिधनू बिनगवां निवासी शिशुपाल से हुई थी। शशि के एक बेटा आशीष उर्फ जीतू व बेटी शीलू है। लालजी गांव में अपने भाई ठाकुर प्रसाद यादव व उनके परिवार के साथ रहते थे। वह अक्सर रात को सोने के लिए गांव के पास स्थित जानवरों के बाड़े में जाते थे। बीती दो सितंबर की शाम भी वह घर से खाना खाने के बाद बाड़े के लिए निकल गए थे।
इसके बाद से घर नहीं लौटे। ठाकुर प्रसाद के बेटे संजीव ने महाराजपुर थाने में ताऊ लाल जी की गुमशुदगी दर्ज कराई। घटना के तीन दिन बाद छह सितंबर को बिधनू बिनगवां के पास जंगल में पुलिस को एक अधजला कंकाल मिला। परिजनों ने अधजले जूते व कपड़ों की मदद से उनकी शिना त कर ली थी।
इस तरह हुआ हत्या का खुलासा
लालजी की हत्या के बाद पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो गांव के एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को दो सितंबर की शाम को आशीष व उसके एक दोस्त को सफेद अपाचे से गांव जानवरों के बाड़े की तरफ जाने की बात बताई थी। इस पर पुलिस के शक की सुई आशीष की तरफ घूमी। वहीं, संदीप के चचेरे भाई श्याम ने भी आशीष व उसके दोस्त को लालजी को बाइक में बीच में बैठा कर ले जाते देखने की बात बताई थी।
जांच पड़ताल में पता चला कि लालजी के हिस्से में कुल चार बीघे जमीन थी। इसमें से वह करीब एक बीघा जमीन पहले ही बेटी शशि के नाम कर चुके थे। आशीष उन पर बची हुई तीन बीघे जमीन भी मां शशि के नाम करने का दबाव बना रहा था, जबकि वह बची जमीन उनकी देखरेख करने वाले अपने भाइयों और उनके बच्चों को देना चाहते थे। इसी बात से खफा आशीष ने उनकी हत्या कर दी। पुलिस ने आशीष, उसके दोस्त, मां शशि व पिता शिशुपाल के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा तरमीम किया है।