उत्तराखंड / देहरादून / हल्द्वानी.
उत्तराखंड में भाजपा ने 47 सीटों पर जीत के साथ एक बार फिर सत्ता में वापसी कर ली है. वहीं, राज्य की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी दल को लगातार दूसरी बार जीत मिली है. हालांकि मुख्यमंत्री के चुनाव हारने का मिथक नहीं टूट सका और सीएम पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) खटीमा से चुनाव हार गए. इसके बार उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर सबकी निगाह हैं.
सवाल उठ रहे हैं कि विधायकों के बीच से ही कोई विधायक अगला मुख्यमंत्री होगा या विधायकों से बाहर के किसी नेता की किस्मत खुलेगी. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व किसी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में है. जिसमें से पहला नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और दूसरा नाम में धन सिंह रावत का है. दोनों ही नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर राजनीतिक गलियारों में तैर रहे हैं, लेकिन सबकी निगाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की पसंद पर टिकी हुई हैं, क्योंकि अंतिम फैसला उन्हें ही करना है.
धन सिंह रावत
श्रीनगर से दूसरी बार के विधायक धन सिंह रावत बीजेपी के बेहद तेजतर्रार और युवा विधायक हैं. वह साल 2017 में पहली बार विधायक बने थे. इससे पहले धन सिंह रावत बीजेपी की स्टूडेंट विंग एबीवीपी के संगठन मंत्री रहे हैं. साथ ही साल 2002 में बीजेपी के कुमाऊं के संगठन मंत्री, 2007 में प्रदेश सह महामंत्री संगठन, साल 2012 में प्रदेश महामंत्री और साल 2014 प्रदेश उपाध्यक्ष रहे हैं. 2017 में श्रीनगर से चुनाव जीतने के बाद धन सिंह रावत को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था. राज्यमंत्री रहते हुए धन सिंह रावत ने कॉपरेटिव, डेयरी और उच्च शिक्षा में लगातार नए प्रयोग किए. यही नहीं, उनको त्रिवेंद्र सिंह, तीरथ सिंह और पुष्कर सिंह धामी सरकार का सबसे तेज और सक्रिय मंत्री माना जाता था.
धन सिंह रावत की सक्रियता को देखते हुए उन्हें पुष्कर सिंह धामी सरकार में प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया. साथ ही कोरोना के मुश्किल दौर में वो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने. उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए ही अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो सकी. धन सिंह रावत को संघ का करीबी नेता माना जाता है. इससे पहले भी उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में शामिल रहा है. संगठन में गहरी पकड़ के कारण धन सिंह रावत पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की गुड बुक हैं. ऐसे में वह भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
सतपाल महाराज
वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज चौबट्टाखाल से फिर से विधायक चुने गए हैं. महाराज का बड़ा राजनीतिक अनुभव है. साथ ही उनकी छवि भी. महाराज साल 1996 में तिवारी कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर लड़कर पौड़ी गढ़वाल से सांसद चुने गए और केंद्र की एचडी देवगौड़ा सरकार में रेल और वित्त राज्यमंत्री बने. केंद्र में राज्यमंत्री बनते ही सतपाल महाराज ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कराने की प्रक्रिया शुरू की. वह एनडी तिवारी सरकार में साल 2002 से 2007 तक 20 सूत्रीय कार्यान्वयन कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष रहे. महाराज 2009 से 2014 तक गढ़वाल से कांग्रेस के सांसद रहे, लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने कांग्रेस के सांसद के तौर पर अचानक इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद से लगातार सतपाल महाराज बीजेपी में सक्रिय हैं. उनको पीएम नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है. साथ ही धर्म गुरु होने के नाते संघ से भी उनकी करीबी है. उनके आश्रमों में संघ के कार्यक्रम होते रहते हैं.
सतपाल महाराज का धार्मिक रूप से कद बेहद बड़ा है और उनके भक्त देश-विदेश में फैले हुए हैं. सतपाल पहले त्रिवेंद्र, फिर तीरथ और फिर पुष्कर सिंह धामी सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री रहे हैं. हालांकि पुष्कर सिंह धामी जैसे जूनियर विधायक को मुख्यमंत्री बनाए जाने के दौरान महाराज की कुछ नाराजगी भी सामने आई थी, लेकिन इसे महाराज ने ज्यादा तूल नहीं दिया और वो फिर से मंत्री बन गए थे. खास बात ये है कि महाराज जब से बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनका न तो कोई विवादित बयान सामने आया और न ही उन्होंने पार्टी लाइन से बाहर जाकर कोई काम किया. ऐसे में पीएम मोदी अगर महाराज के नाम पर अंतिम मुहर लगाते हैं तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी.