..नई दिल्ली..
दौरान कोर्ट का कहना था कि बुजुर्ग के रिटायरमेंट और पेंशन का रुपया बैंक में जमा था. ऐसे यदि फर्जी चेक के जरिए उनकी रकम कोई निकाल लेता है तो इसका अर्थ है कि बैंक स्तर पर खामियां हैं. ऐसे में यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह बुजुर्ग की रकम का भुगतान करे.
नई दिल्ली. दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने हाल ही एक अहम फैसला सुनाया, जिसके अनुसार अगर किसी ग्राहक के खाते से रुपये निकाल लिए जाते हैं यानी ठगी हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी बैंक की होगी. कोर्ट ने यह बात एक बुजुर्ग के केस की सुनवाई के दौरान कही. 77 साल के बुजुर्ग के अकाउंट से फर्जी चेक के जरिए सात लाख रुपये निकाल लिए गए थे. इस पर बुजुर्ग पिछले 15 साल से बैंक के खिलाफ केस लड़ रहा था.
इस केस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट का कहना था कि बुजुर्ग के रिटायरमेंट और पेंशन का रुपया बैंक में जमा था. ऐसे में अगर फर्जी चेक के जरिए उनकी रकम कोई निकाल लेता है तो इसका अर्थ है कि बैंक स्तर पर खामियां हैं. ऐसे में यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह बुजुर्ग की रकम का भुगतान करे. कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग की याचिका दायर करने से लेकर रकम के भुगतान तक का नौ प्रतिशत ब्याज भी बैंक ही देगा.
बुजुर्ग की ओर से दायर याचिका के मुताबिक उन्होंने सिंडिकेट बैंक में अपना खाता खुलवाया था. 2007 में उनके खाते में नौ लाख रुपये थे. इस राशि में से उन्होंने पौने दो लाख खर्च किए थे. इसके बाद सवा सात लाख बैंक खाते में बचे थे. दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग से सीनियर क्लर्क की पोस्ट से रिटायर होने के बाद वे छह जुलाई 2007 को अपनी पासबुक लेने बैंक गए. यहां उन्होंने अपनी पासबुक को जब अपडेट कराया तो जानकारी मिली की खाते में कोई रकम नहीं है. पड़ताल करने पर पता चला कि तीन चेक के जरिए सारी राशि निकाल ली गई है.