;उत्तरकाशी:
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में उत्तराखंड के सीमांत उत्तरकाशी जिले की महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति को चिंताजनक माना गया है। हालांकि सुकून इस बात का है कि स्वस्थ जीवन को लेकर परिवार जागरूक भी होने लगे हैं। इसी कड़ी में कई परिवार सरकारी-गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से अपने आंगन में ही जैविक तरीके से पोषक तत्व युक्त फल-सब्जियां उगा रहे हैं।
जिले में ऐसी पोषण सुरक्षा की शुरुआत हो चुकी है ताकि बच्चों को कुपोषण और महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) को दूर किया जा सके। रिलायंस फाउंडेशन ने जिले में भटवाड़ी ब्लाक के 12 और डुंडा ब्लाक में 20 गांवों के ग्रामीणों को अपने आंगन में पोषण वाटिका बनाने के लिए प्रेरित एवं प्रशिक्षित किया। आंगन में तैयार पोषण वाटिकाओं से इन परिवारों को पोषण युक्त सब्जियां मिल रही हैं।
चमोली आपदा के बाद वर्ष 2016 में ग्रामीणों में पोषण सुरक्षा को लेकर रिलायंस फाउंडेशन ने काम करना शुरू किया। इसके लिए भटवाड़ी ब्लाक के 12 गांवों का चयन किया गया। इनमें शिविर लगाकर महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की गई तो अधिकांश में हीमोग्लोबिन कम मिला। महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने के लिए 190 परिवारों के आंगन में निश्शुल्क मिनी पालीहाउस बनाए गए।
साथ ही सभी परिवारों को चुकंदर, राई, पालक, छप्पन कद्दू, मूली, टमाटर, शिमला मिर्च, धनिया, मेथी, प्याज, लहसून आदि के उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराकर उन्हें जैविक तरीके से उगाने की विधि भी समझाई गई।
उत्तरकाशी के गोरशाली गांव की रीना राणा कहती हैं कि ग्रामीणों ने मिनी पालीहाउस में टमाटर, चुकंदर, शिमला मिर्च व हरी सब्जियां उगाईं। इसका असर परिवार के पोषण पर भी दिखा। अब उन्होंने सरकारी सहयोग से बड़ा पालीहाउस लगा लिया है, जो अच्छी आय भी दे रहा है।
रिलायंस फाउंडेशन के परियोजना निदेशक कमलेश गुरुरानी कहते हैं कि इन गांवों में निरंतर हो रही स्वास्थ्य जांच से पता चला है कि जिन महिलाओं में हीमोग्लोबिन दस ग्राम से कम था, उनमें अब वह 11-12 ग्राम से अधिक है। इसके अलावा डुंडा ब्लाक के 20 गांवों में भी उन्नत प्रजाति के बीज देने के साथ ग्रामीणों को सब्जी उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया गया। इससे उनके परिवार के पोषण के साथ आर्थिकी भी मजबूत हो रही है। इसके अलावा राकेलू गांव के 15 परिवारों ने एक माह के अंतराल में एक लाख रुपये के मटर बेच दिए हैं।